डाॅन
देखते ही देखते राजेश इस छोटे से शहर का नामचीन डाॅन बन गया । राजेश का बचपन सामान्य और साधारण था।
पढ़ाई में मध्यम था मगर मेहनती।
लेकिन युवा होते होते पता नहीं उसे ऐसा क्या गुरूमंत्र मिला कि वो अब गैंगस्टर के रूप में पहचान बना चुका ।
अब तो उसका रुतबा देखते ही बनता था।
कभी बुलेट बाइक पर तो कहीं थार फोर व्हीलर में चलना फिरना और उसके पीछे हजारों लड़कों का हुजूम ।
राजेश के माता पिता सीधे सादे और राजेश को लेकर चिंतित रहने वाले ।
सरकारी स्कूल मास्टर दंपत्ति का लडका ऐसा निकल जायेगा ये उसको जानने वालों ने सोचा नहीं था ।
उसके साथ ज्यादा कुछ फिल्मी नहीं हुआ बस संगत का असर था ।
युवावस्था में संगत का अच्छा होना बहुत जरूरी है।
राजेश का रोज का काम यही था- मारा मारी , अपहरण , रंगदारी और फटे में टांग अडाना ।
देर रात तक पार्टी करना और दिन भर सिगरेट की धुंआ के छल्ले उडाना ।
लेकिन ये सब शाश्वत नहीं था जो हमेशा चलता ही रहेगा ।
हुआ भी यही ऐसे लोगों के हजार दुश्मन बन जाते हैं ।
एक रोज रात के ग्यारह बजे कुछ लड़कों से कहा सुनी हो गई और बातों ही बातों में बात इतनी बढ गई कि दोनों पक्ष मार पीट पर उतर आए ।
गोलियां चलने लगीं खून बहने लगा।
मगर आज राजेश का सामना उससे भी ज्यादा ताकतवर गैंग से हुआ ।
श्रेष्ठता की जंग अधिक खतरनाक होती है।
एक तमंचे पर राजेश का नाम लिखा था जो सीधा राजेश के सिर में आकर लगा ।
राजेश दस सैकेंड तडफडाया और हमेशा के लिए शांत हो गया । दो मिनट के अंदर दो सौ लड़कों का पता नहीं चला, सबके सब गायब हो गए ।
जो उसके साथी थे वो लाश उठाने तक के लिए भी नहीं रुके।
ना जाने क्या करना चाहता था राजेश जबकि करने के लिए बहुत कुछ था जिसे वो अधूरा छोड गया जैसे घर का लोन, बहन की शादी और बूढ़े होते हुए मां बाप का शुकून वाला बुढ़ापा।
खैर गैंगस्टर का अंत कुछ ऐसा ही होता है चाहे रील लाइफ हो या फिर रीयल लाइफ।
माँ बाप और बहन के पास रोने के अलावा और कोई चारा भी नहीं था । वे तीनों लगातार रोये जा रहे थे ।
लक्ष्मण सिंह त्यागी रीतेश