ये ज़िंदगी है एक कहानी
ज़िंदगी की राहों में मिले थे हम,
एक अजनबी लम्हे से शुरू हुई थी कहानी,
बातों में खोए, जज़्बातों में बहके,
सपनों की दुनिया में लिखी हम ने नई रवानी।
कभी मुस्कानों की शामें सजीं,
कभी आँसुओं की बारिश मढ़ी,
कभी प्यार के गीत गूंजे,
कभी ख़ामोशियों की दीवारें खड़ी।
सफ़र था सुंदर, पर कांटों से भरा,
हर मोड़ पर इम्तिहान की घटा,
कभी करीब आकर भी दूर हुए,
कभी दूर रहकर भी एक-दूजे में जीये।
यादों के पन्ने हर रोज़ पलटते हैं,
तेरी हँसी, तेरा ग़ुस्सा, तेरा हर एक एहसास,
हर लफ्ज़ में अब भी तू ही बसी है,
हर धड़कन में तेरा ही नाम है आबाद।
तकलीफ़ें आईं, दर्द ने पुकारा,
पर मेरा प्रेम तो अटल ही रहा,
तुम ज़रूर आओगी यह मेरा विश्वास है,
मुझे हर जनम, हर सांस में रहेगा सिर्फ तेरा सहारा।
बस इतना जान लेना,
अगर कभी तुझे मेरी याद आए,
तो इन हवाओं से पूछ लेना,
मैं वहीं खड़ा मिलूँगा, उसी मोड़ पर,
जहाँ हमने एक-दूजे को खोया था…
प्रेम ठक्कर “दिकुप्रेमी”