तेरी यादों का उजाला
तेरी यादों में डूबा ये दिल बेसहारा,
हर लम्हा अब लगता है सूना-सपना हमारा।
तेरी हंसी की गूंज अब भी कानों में है बाकी,
तेरे बिना हर ख़ुशी लगती है जैसे रोता हुआ कोई बच्चा बेचारा।
तेरी राहों में आंखें बिछाए खड़ा हूँ यूं ही,
हर खामोशी में छिपी है लौट आने की आस।
सब कुछ मिटा दिया मैंने अपना,
बस तुझे ही पाने की अब एक ही उम्मीद है मेरे पास।
अब दिवाली का उजाला भी फीका सा लगता है,
तेरे बिना ये त्यौहार भी अधूरा सा लगता है।
दीप जलते हैं, पर रोशनी नहीं मेरे दिल में,
तेरे बिना हर लम्हा बस अंधेरा सा लगता है।
प्रेम ठक्कर “दिकुप्रेमी ”
9023864367
सूरत गुजरात