सस्ता आदमी – लक्ष्मण सिंह त्यागी रीतेश

  • Post author:Manisha Tyagi

सस्ता आदमी

जीजाजी का फोन बंटी के पास तकरीबन तीन चार बार आ चुका कि कहीं से जुगाड करके एक दुधारू गाय दिला दे ।
“छोटे छोटे बच्चों के साथ दूध तो होना ही चाहिए और बाज़ार में दूध के ऐसे भाव जिसे सुनकर रूह तक कांप जाती है , बाज़ार के दूध में मिलावट भी इतनी कि इससे बढ़िया तो ज़हर ही पी लिया जाए । वो कम से कम बिना मिलावट वाला तो होगा” – यही सब सोचकर बंटी ने तय कर लिया कि वो अपनी तीन में से एक गाय को जीजाजी के घर पहुँचा देगा जिससे दूध की समस्या से निजात मिल सके ।

सर्दियों के दिन बहुत जल्दी समाप्त हो जाते हैं बंटी को खेती में भी काम था इसलिए समय निकालते निकालते एक सप्ताह बीत गया ।
अन्ततोगत्वा आज उसे समय मिला खूंटे से एक गाय को खोलकर लोडिंग गाडी में चढ़ाया और जल्दी जल्दी एक कटोरा महेरी पीकर ड्राईवर के साथ निकल गया ।

गाय को सर्दी ना लग जाए इसलिए बंटी ने गाडी को तिरपाल से ऐसे ढक दिया कि बाहर से गाय दिखाई भी नहीं दे रही थी और स्वयं भी कंबल ओढे हुए था ।

आज के दिन काफी ठंड और कोहरा था । गाडी करीब बीस किलोमीटर दूर पहुंच पायी तभी टायर पंचर हो गया ।
गनीमत ये रही कि पंचर की दुकान पास ही मिल गई ।

ड्राईवर पंचर ठीक करा रहा था और बंटी वहीं एक अघाने पर ताप रहा था।
तभी वहां से तीन चार नौजवान गुजर रहे थे। जैसे ही वे गाडी के पास पहुंचे उसी समय गाडी में से गाय के रैंकने की आवाज़ आयी ।
नौजवान आवाज सुनकर ठिठके उसके बाद तिरपाल को ऊपर किया तो देखा कि उसमें गाय है ।
आदमी जैसा सोचता है नजारा भी वैसा ही नज़र आता है । यहाँ भी कुछ ऐसा ही था।
जो नवयुवक थे वो गौ रक्षक संघ के सदस्य थे इसलिए उनको तिरपाल से गाय ढकी होना और बंटी का कंबल ओढ़ना ; सबकुछ संदिग्ध सा लगा ।
उन लड़कों ने बिना कुछ छानबीन किए बंटी को गौ तस्कर मान लिया और उस पर टूट पड़े ।
फिर क्या था भीड जमा हो गई और सभी बंटी को गौ तस्कर मानकर उसको पीटते गए ।
जब तक पुलिस आयी तब तक बंटी की अच्छी खासी पिटाई हो चुकी थी । बंटी खून से लथपथ हो चुका था ।
पुलिस द्वारा उसे अस्पताल भेजा गया जहां वो अपनी आखिरी सांसे पूरी कर रहा था और इधर उन युवकों को सम्मानित किया जा रहा था ।
सवाल बहुत थे मगर जबाव एक भी नहीं ।
एक बात अवश्य है इस बढती मंहगाई में आदमी बहुत सस्ता हो गया है जिसकी जान की कीमत शायद जानवर से भी कुछ कम रह गई है ।

लक्ष्मण सिंह त्यागी रीतेश

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