बुलंदशहरों की बुलंदियों को कब तक लगता रहेगा ग्रहण?

  • Post author:Web Editor

ब्लॉग ‘आपकी सहेली’ से…

हमारें यहां बला की महिला महिमा है। धन की देवी लक्ष्मी है, तो ज्ञान की सरस्वती! हर अन्याय के प्रतिकार हेतु शेर पर सवार दुर्गा मैया है, तो अस्त्रशस्त्र से लैस जबान लपलपाती काली माता! जिस देश में महिलाओं का देवी के रुप में पुजन होता है, उस देश के बुलंदशहरों की बुलंदियों को क्यो लगता है ग्रहण? क्यों होते है यहां इतने बलात्कार और वो भी गैंगरेप? सोचिए, उस बंधक बाप पर क्या बीत रहीं होगी, जब उसकी पत्नी और बेटी के साथ तीन घंटे तक यह घिनौना कृत्य किया गया! अपनी पत्नी और बेटी की चिखें गुंजती रहेगी उसके कानों में, जब-तक वह जिंदा है…!

जिसने एक बार हलाहल पान किया, वो सदियों से निलकंठ बन पूजा गया!
बलात्कार पीड़िता हर रोज थोड़ा-थोड़ा विषपान करती है,
है कोई उपाय जो पीड़िता का ताप कम कर सकेगा???

सामान्यत: यह कहा जाता है कि रात को महिला अकेली घर से बाहर निकली थी और उसने भड़काऊ कपड़े पहन रखें थे इसलिए बलात्कारियों को प्रोत्साहन मिला! लेकिन बुलंदशहर हादसे की पीड़िताएं अकेली नहीं थी और उन्होंने कपड़े भी कम नहीं पहने थे फिर क्यों हुआ उनके साथ गैंगरेप? आइए, हम थोड़ा इस बात पर गौर करें कि आखिर इंसान इंसानियत की सभी हदे पार करकर बलात्कार जैसे कुकर्म क्यों करता है?

पुरुषवादी अहंकारी सोच

बलात्कार के लिए सबसे प्रमुख रुप से उत्तरदायी है, पुरुषवादी अहंकारी सोच! प्राचीन काल से ही पुरुषों की सोच महिलाओं को सिर्फ एक भोग्या मानने की रहीं है। ब्रम्हापुत्रि देवी अहिल्या को भी देवराज इंद्र की काम लोलुपता का शिकार होना पडा था। पाप किया इंद्र ने और सजा भुगती निर्दोष अहिल्या ने! अपने पति ऋषी गौतम के शाप के बाद जड हो चुकी अहिल्या हजारों वर्षों के तप के बाद श्रीराम के दर्शन से वापस चैतन्य हो पाई। प्राचीन काल में युद्ध में विजयी देश के सैनिक, पराजित देश की महिलाओं पर बलात्कार करते थे। युद्ध दो देशों के पुरुषों के बीच हुआ, महिलाओं ने तो युद्ध नहीं किया, फिर उन पर बलात्कार क्यों? आज भी महिला चाहे जितनी पढ़ी-लिखी हो, बड़े से बड़े पद पर आसीन हो, पुरुषों के लिए वह सिर्फ जिस्म है शोषण के लिए। ‘सुल्तान’ फिल्म के कुश्ती के दृश्यों की शुटिंग के दौरान हुई थकान की सलमान खान ने एक दुष्कर्म पीड़िता से संवेदनहीन तुलना की थी। मानो कुश्ती की थकान और दुष्कर्म पीड़िता का दर्द दोनों बातें समान हो! सलमान की टिप्पणी समाज में इस तरह की पुरुषवादी अहंकारी मानसिकता का आम संकेत है। बातचीत में हम आमतौर पर इस तरह की बातें सुनते है। मसलन, किसी युवा ने एक दोस्त के बाइक की खराब हालत देखी तो उसने तपाक से कह दिया कि तुमने तो बाइक का रेप कर दिया! मुद्दा यहीं है। पुरुषों के लिए ‘रेप’ एक सामान्य घटना है, जब तक वह उनकी स्वयं की बहन-बेटी के साथ न हो! सलमान या कोई भी युवा, एक घृनित अपराध को किसी भी संदर्भ में एक बार भी विचार किए बिना इस्तेमाल करते हैं, तो यह उनकी पुरुषवादी अहंकारी सोच का ही परिणाम है।

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ज्योति देहलीवाल जी एक गृहणी है और महाराष्ट्र में निवारसरत है। आप 2014 से ब्लॉग लिख रही है। उनके ब्लॉग पर विभिन्न विषयों से संबधित रोचक जानकारियां और सामाजिक व घरेलू टिप्स आदि ढ़ेरो जानकारीवर्द्धक लेखो की काफी लम्बी श्रृखला है। जिससे पाठक लाभान्वित हो सकते है।

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