आँखो में अक्सर अपने तूफान रखों,
यहाँ सिर्फ अपने काम से काम रखों,
दिल से नफरतें बाहर निकाल फेंको,
तुम दिल में प्यार मोहब्बत तमाम रखों,
कोशिशें करते रहों आखिरी साँस तक,
गिर कर उठना हरबार है ये जान रखों,
ये मत सोचों चार लोग क्या सोचेगें,
अपनी सोच को खुलकर सरेआम रखों,
खुद में खुद को जिंदा रक्खों,
दोस्त कम मगर चुनिंदा रक्खों,
एक ना एक दिन दुनिया में सबको मरना है,
सर पे बांध कफन साथ मौत का सामान रखों,
तुम काबिल हो,कर सकते हो हर लक्ष्य फतह,
बस खुद पर करके यकीन कायम पहचान रखों
लेखक
-© शिवांकित तिवारी “शिवा”
युवा कवि एवं लेखक
सतना (म.प्र.)
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