नारी शक्ति
दस किलोमीटर की परिधि में ना कोई गांव और ना ही शहर । दिन में भी सन्नाटा , घने जंगल ने सूरज के प्रकाश को भी रोक रखा था ।
इसी जगह का फायदा दो बदमाश उठा रहे थे । एक – एक करके उन्होंने बीस महिलाओं को ना केवल बंदी बनाया बल्कि सबके गहने व नगदी लूट लिए ।
विनीता रोज की तरह अपनी कराटे क्लास खत्म कर घर के लिए लौट रही थी । विनीता जैसे ही वहाँ से गुजरी , बदमाश उसकी स्कूटी के सामने आ खड़े हुए ।
विनीता ने प्रतिकार किया तो बदमाशों ने चमचमाता हुआ चाकू निकाल लिया और उसे भी धमकाने लगे ।
विनीता सारा माजरा समझ चुकी थी । उसने बिजली की गति से एक साथ दोनों बदमाशों की नाक पर मुक्का जमाया और चाकू छीन लिया ।
यह सब देखकर बंदक महिलाओं में भी आत्मबल जागा और उन्होंने शेष काम अंजाम तक पहुँचा दिया ।
विनीता ने सबको धन्यवाद दिया और समझाया कि ” जो लोग नारी को अबला मानते हैं ये उनका भ्रम है क्योंकि नारी अगर ठान ले तो कुछ भी कर सकती है । मगर इसके लिए हमें एक होकर लडना होगा ऐसा नहीं कि तुम्हारी तरह एक एक करके लुटते रहे और निस्सहाय बस देखते रहे ।
बदमाशों को जबाव देने तक की हिम्मत नहीं जुटा पाये ।”
लक्ष्मण सिंह त्यागी रीतेश