मैं मजबूर हो गया हूँ – प्रेम ठक्कर

  • Post author:Manisha Tyagi

मैं मजबूर हो गया हूँ

अब खुद से ही नज़रों को चुराने लगा हूँ,
तेरे बाद बहुत कुछ दिल में छुपाने लगा हूँ।

जो लफ़्ज़ थे दिल के, अब खामोश हैं,
कभी जो रोशन था, वो अब अंधेरे में मदहोश हैं।

हर सुबह तेरा इंतज़ार लेकर आती है,
और हर रात मुझे तुझसे जुदा कर जाती है।

तू थी तो हर बात थी आसान यहाँ,
अब हर बात में बस तेरा ही नाम आता है यहाँ।

बहुत कोशिश करता हूँ, मगर ये मन,
तेरे बिन जी नहीं पाता है अब तनिक भी क्षण।

दिकु, लौट आ…
तेरे प्यार में चूर-चूर हो गया हूँ,
लोग कहते हैं – “तू बदल गया है”,
क्या बताऊँ उन्हें… मैं मजबूर हो गया हूँ।

— प्रेम ठक्कर “दिकुप्रेमी”
9023864367
सूरत, गुजरात

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