खुदा की नेमत – स्वाति स्वर्णकार

  • Post author:Manisha Tyagi

सखा, मीत, बंधु, यार—साथी सब रहबर हैं मेरे,
हमदर्द, प्रियतम, संबल—सब हमसफ़र हैं मेरे।
सुख-दुख हर मोड़ पर वफ़ा ये करते हैं मेरे,
ताउम्र दिलकश ये दिल में अनमोल रहेंगे मेरे।

हर दिन, हर पल मुस्कान का रंग भरते हैं,
ग़म की रातों में ये सवेरा बनते हैं।
ख़ामियों को मेरी हँसकर नज़रअंदाज़ करते हैं,
ख़ुशियों की महफ़िल में सबसे आगे रहते हैं।

मोहब्बत की मिसाल बनते हैं मेरे,
हर जज़्बात के अल्फ़ाज़ बनते हैं मेरे।
अपने, हमदम, विश्वास की छाँव हैं,
ये दोस्त खुदा की नेमत हैं मेरे।

स्वाति स्वर्णकार

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