ये जीवन तो नदी के समान है,
जीना है तो चलना पड़ेगा सदा ll
राह में आएगा कई पर्वत विशाल l
बिखर न जाना खुद को संभाल ll
हौसलों से ही अब तो उड़ान है,
धीर – वीर कैसे हारेगा भला l
ये जीवन तो नदी के समान है,
जीना है तो चलना पड़ेगा सदा ll
मर्म स्पर्शों से शिलाओं को पार कर लो l
भूल जाओ द्वेष ईर्ष्या सब से प्यार कर लो ll
ताकत से भले जीत जाए इंसान है,
पर मृदुवाणी से मन जीते जाते सदा l
ये जीवन तो नदी के समान है,
जीना है तो चलना पड़ेगा सदा ll
चारों ओर यहाँ विषधर हैं खड़े l
पर चंदन को कहा फर्क है पड़े ll
परहित जो जीये जीवन महान हैं,
इसलिए मानव जीवन है सबसे जुदा l
ये जीवन तो नदी के समान है,
जीना है तो चलना पड़ेगा सदा ll
कुलेश्वर जायसवाल
सेमरिया कबीरधाम छत्तीसगढ़