तुम्हारे बिना जिंदगी – प्रेम ठक्कर

  • Post author:Manisha Tyagi

तुम्हारे बिना ज़िन्दगी

बिना तुम्हारे ज़िन्दगी बोज बन गयी है,
हर ख़ुशी का एहसास अब खो सा गया है।
तुम्हारे बिना सुखी बेजान सी हो गयी है आँखें,
मेरा जीवन अंधकार में सो सा गया है।

तुम बिन ये लम्हे वीरान हो गए,
ख्वाबों के शहर भी अब तो सुनसान हो गए।

तुम्हारी हँसी की मिठास अब सिर्फ यादों में है,
तुम्हारे साथ बिताए पल महज़ अब ख्वाबों में हैं।

रातें भी अब अंधेरी और लम्बी लगती हैं,
सुबह भी अब जैसे वीरानी में ढलती हैं।

दिल की धड़कन भी अब बेमानी सी हो गई है,
तुम्हारे बिना ज़िन्दगी एक कहानी सी हो गई है।

तुम्हारे बिना हर दिन अधूरा सा लगता है,
हर पल अब बस तन्हा तन्हा सा लगता है।

तुम्हारी यादें ही अब मेरा सहारा हैं,
तुम्हारे बिना ज़िन्दगी बस केवल गुज़ारा है।

काश फिर से लौट आए वो प्यारे प्यारे दिन,
एक पल भी नहीं बीतता था मेरा तुम्हारे बिन।

पर अब तो बस ये उम्मीद ही बाकी है,
की कहीं न कहीं, किसी मोड़ पर, मिल जाएगी मेरी ज़िन्दगी फिर से मुझे।
रोशन हो जायेंगे मन के दिये,
जो चल रहे है रो रो कर बुझे बुझे।

तुम्हारे बिना ज़िन्दगी तो है, पर जैसे नहीं है,
प्रेम तुम्हारे इंतज़ार में जहां था, आज भी वहीँ है।

प्रेम ठक्कर “दिकुप्रेमी”
सूरत, गुजरात

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