प्रकृति – प्रेम ठक्कर

  • Post author:Manisha Tyagi

प्रकृति

प्रकृति की गोद में बसी है तुम्हारी यादों की छाँव,

हर हरे पत्ते पर लिखा हुआ है तुम्हारा नाम।

चमकते सूरज की किरणों में देखूं तुम्हारा चेहरा,

झरनों की मधुर ध्वनि में सुनूँ तुम्हारी बातें।

फूलों की महक में तेरी खुशबू सी लगती है,

हवाओं की सरगम में गूंज रही हमारी मुलाकातें।

चाँदनी रात में जब तारो की चमक सजती हैं,

उनकी रोशनी में तुम्हारी हँसी की झलक मुझे दिखती है।

बादलों की छाँव में, जब ठंडी हवा बहे,

तुम्हारे स्पर्श का एहसास दिल को छू जाता है।

बारिश की बूँदों में, जब धरती भीगती है,

तुम्हारे प्यार की नमी से मेरा मन भी भीग जाता है।

प्रकृति के हर रंग में, हर रूप में,

तुम्हारा ही अक्स मुझे दिखाई देता है।

तुम्हारी यादों के साये में, मैं जीता हूँ,

तुम लौट आओगी एक दिन,

प्रकृति का हर पल, हमेशा मुझे यही कहता है।

प्रेम ठक्कर “दिकुप्रेमी”
Surat, Gujarat
9023864367

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