अक्सर हम अपनी सोच का आंशिक भाग व्यर्थ करते है कि हम यह अथवा वह जो चाहते थे, नहीं बन पाए, बल्कि हमें तो खुश होना चाहिए कि हमारे जिस रूप अथवा स्वरूप से मानवता का कल्याण होता है, दुसरो के मुस्कान से स्वयं भाव-समृद्ध होते है, यही तो जीवन का काल खंड है, जो प्रेरणादायक होता है।
हम अक्सर प्रेरणा स्रोत, आदर्श पुरूषों, महापुरूषो की जीवनी सुनते एवं पढ़ते है, परन्तु गंभीर तथ्य यह है की हम उस तथ्यो, सारगर्भिता को कितना सकारात्मक मूल्यांकन कर जीवन धरातल पर अवलोकन करते है।
स्वयं से हँसना जीवन रुपी आनंद नहीं है, अपितु दूसरो की हँसी, खुशियां आपको खुश करे, आनंदमय रूप यही कहलाता है।
बड़ा आदमी बनना आसान होता है, लेकिन बड़पन एवं अपनत्व लाना उतना ही कठिन होता है।
शालीनता, चारित्रिक रूपेण दर्पण है। विनम्रता, अपनत्व से सत्यता की राह आसान होता है।
किसी की बुराई से न डरे, अपितु अपने अच्छाई से उसकी बुराई को खत्म करें।
नकारात्मक सीढ़ियों के सहारे हम सकारात्मक विचार की नींव बना सकते है।
कजुटता, धर्मनिरपेक्षता, समानता, संप्रभुता आदि हर राष्ट्र प्रेमी में समायोजित होता है।
अक्सर हम अपनी सोच का आंशिक भाग व्यर्थ करते है, कि हम यह अथवा वह जो चाहते थे, नहीं बन पाए, बल्कि हमें तो खुश होना चाहिए कि हमारे जिस रूप अथवा स्वरूप से मानवता का कल्याण होता है, दुसरो के मुस्कान से स्वयं भाव-समृद्ध होते है, यही तो जीवन का काल-खंड है, जो प्रेरणा दायक होता है।
हम अक्सर प्रेरणा स्रोत, आदर्श पुरूषों, महापुरूषो की जीवनी सुनते एवं पढ़ते है, परन्तु गंभीर तथ्य यह है की हम उस तथ्यो, सारगर्भिता को कितना सकारात्मक मूल्यांकन कर जीवन धरातल पर अवलोकन करते है।
स्वयं से हँसना जीवन-रुपी आनंद नहीं है, अपितु दूसरो की हँसी, खुशियां आपको खुश करे, आनंदमय रूप यही कहलाता है।
बड़ा आदमी बनना आसान होता है, लेकिन बड़पन एवं अपनत्व लाना उतना ही कठिन होता है।
शालीनता, चारित्रिक रूपेण दर्पण है। विनम्रता, अपनत्व से सत्यता की राह आसान होता है।
नकारात्मक सीढ़ियों के सहारे हम सकारात्मक विचार की नींव बना सकते है।
एकजुटता, धर्मनिरपेक्षता, समानता, संप्रभुता आदि हर राष्ट्र प्रेमी में समायोजित होता है।
सफलता उन्हें मिलती है, जो सपने देखना पसंद करते है, जिनके सपनों में जान होती है। हौसलो से जीत जाता है, केवल वादों-इरादों से नही, बुलंदियों को छूने के लिए, सपनों को हकीकत में बदलना पड्ता है।
जीवन को उत्कृष्ट करने के लिए तन-मन से मेहनत कर नया वातावरण बनाना पड्ता है। नए चेतना उन्मुक्त होने के लिए अपनी कुशल योग्यता पहचानने पड़ते है।
काँटो पर चल कर उम्मीदों की लकीर खींचना पड्ता है। तक़दीर लिखती नही, बनायीं जाती है। दुनिया में जीने के लिए एक नयी पहचान बनायीं जाती है।
संगीत आत्मिक विचारों को फूलों की तरह सींचती है। जीवन के रहस्य मे ना उलझे, अपितु रहस्य मे अपना सुरक्षित जीवन ढूंढे।
सम्पनता श्रेष्ठता की पहचान नही होनी चाहिए, अपितु श्रेष्ठता व्यक्तित्व गुणवता का दर्शन मात्र होनी चाहिए।
जीवन के आतंरिक तरंगो को हमेशा महसूस ही नही, बल्कि अभिरूप भी देना जीवन रूप का आईना है।
नज़रिया नज़रो से ना बदले, बल्कि अपनी कदमों के साहसिक कार्यो से बदले।
सालीनता, चारित्रिक वैक्तित का दर्पण है। सदैव सकारात्मक पहलू विद्वत्ता का परिचायक है।
अपने आप को हमेशा कोसते रहना, अपनी नैतिक जिम्मेवारी से अलग होना दर्शाता है।
आत्मनिर्भरता अपने आप के विवेक-चेतना को ज्वालामुखी रूप में परदर्शित करती है।
परंपरा सामाजिक दायित्व का लेख है। मेहनत से कुछ न मिलना उतना बुरा नहीं, जितना स्वयं पर विश्वास न करना।
लेखक : अखिलेश कुमार भारती (एस्पिरिंग और डायनामिक इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर्स (ऑनर्स डिग्री के साथ गोल्ड मेडिकल) -ड्यूशनिस्ट / मोटीवेटर / कॉलमनिस्ट)। लेखक वर्तमान में डीसीसी-ईजेड एमपीपीकेवीवीसीएल, जबलपुर में सहायक प्रबंधक के पद पर कार्यरत है। आपसे 09826767096 एवं ई-मेल akhilesh.bharti59@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
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