लेखक : अतुल राजे जाधव
जापानी लोगों को ताजा मछली खाना बहुत ज्यादा पसंद हैं। लेकिन जापान के पास के समंदर में से मछलियाँ कुछ सालों के बाद कम होने लगी। इसलिए जापान के लोगों की मछलियों की माँग पुरी करने के लिए फिशिंग बोट्स ज्यादा बडी होने लगी और वो समंदर में ज्यादा दूर तक जाने लगी। जितना दूर बोट जाती उतना ही उन्हें वापस आने में ज्यादा समय लगता और अगर वापस आने में ज्यादा दिन लगते तो उन्होंने पकड कर लाइ मछलियाँ ताजी नहीं रहती थी। जापानी लोगों को उसका स्वाद पसंद नहीं आने लगा। इसलिए मछलियों की माँग कम होनें लगी।
इस समस्या का समाधान करनें के लिए फिशिंग कंपनियों ने उनकी बोट पर फ्रिजर रखवा दिए। अब मछुआरे मछलियाँ पकडकर उन्हें समंदर मे ही बोट पर रखें फ्रिजर में रखने लगे। फ्रिजर की वजह से अब मछलियाँ पहले से ज्यादा ताजी रहने लगी और परिणाम स्वरुप बोट समंदर में और ज्यादा दूर जाने लगी और ज्यादा समय के लिए समंदर में रहने लगी। परंतु जापानी लोगों को ताजी मछली और फ्रिजर में रखी मछली दोनों के स्वाद का अंतर पता चलता था। उन्हें फ्रिजर में रखी हुइ मछली का स्वाद पसंद नहीं आया। फिर इन मछलियों की माँग कम हुई इसलिए उनकी कीमत भी कम हो गई।
अब इस समस्या का समाधान करने के लिए मछली पकडने वाली कंपनियों ने बोट पर फिश टैंक स्थापित किए। इस से मछूवारे मछली पकडकर उन्हें इस फिश टैंक में रखते थे। कुछ दिन फिश टैंक में इधर उधर घुमने के बाद मछलियाँ शांत हो गई। मछलीयाँ जिंदा तो रहती थी परंतू थक जाती और सुस्त हो जाती थी। जापानी लोगों को अभी भी इस मछली का स्वाद ताजा मछली जैसा नहीं लगा। उन्हें ये मछलीयाँ भी पसंद नहीं आई।
जापानी लोगों को एकदम ताजा और जीवंत मछली का स्वाद ज्यादा पसंद था। उन्हें सुस्त और निस्तेज मछलियाँ पसंद नही थी। तो जापानी फिशिंग कंपनियों ने इस समस्या का समाधान कैसे किया? उन्होंने जापानी लोगों के पसंद की ताजा मछलियाँ कैसे मिली? कैसे जापानियों ने मछलियों को ताजा रखने की व्यवस्था की?
मछलियों को ताजा रखनें के लिए जापानी फिशिंग कंपनियों ने अभी भी मछलीयाँ उसी फिश टैंक में ही रखीं जो उन्होंने बोट पर स्थापित किए थें। परंतू इस बार उन्होंने हर एक फिश टैंक में एक छोटी शार्क मछली को बाकी मछलियों के साथ रखा। वो छोटी शार्क मछली कुछ मछलियों को खा जाती हैं परंतू बाकी बची ज्यादातर मछलियाँ बहुत ही सक्रिय और ताजी अवस्था में जापानी लोगों को मिलने लगी। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि अब शार्क मछली के बाकी मछलियों के साथ टैंक में रहनें से बाकी मछलियों को चुनौती मिली। वो जिंदा रहने के लिए सतर्क रहने लगी।
ऊपर की कहानी पढ कर आपको समझ में आया होगा कि चुनौतियाँ जीवन के लिए जरुरी होती हैं। हमारे आसपास भी ऐसे लोग हैं जो हमेशा थके हुए, सुस्त और निस्तेज जीवन जी रहे होते हैं। क्या हमें भी हमारे जीवन में जागरुक, सतर्क और कार्यरत रहने के लिए शार्क मछली जैसी चुनौतियाँ जरुरी हैं? इसका जवाब हैं हाँ, जरुरी हैं। शार्क मछली मतलब नई चुनौतियाँ, नए बदलाव जो हमें हमेशा सतर्क रखते हैं। जितना आप खुद को समझदार, बुद्धिमान और सक्षम बनाते रहते हैं उतना आपको नई चुनौतियों का सामना करने में मजा आता हैं।
अगर आपकी चुनौतियाँ समाधान करने लायक हैं और आप हमेशा उनका सामना करके उनका समाधान खोजते हैं तो आप जीवन में सफल व्यक्ति कहलाऐंगे। चुनौतियों के बारें में सोचकर आपमें नई उर्जा का संचार होगा। आप नई चीजें, नए हल ढूँढ़ने के लिए उत्साही होंगे और ये सब करके आपको मजा आएगा, आप खुद को खुश, सक्रिय और नवचेतना से भरपूर महसूस करेंगें।
चुनौतियों से निपटने के लिए कुछ सुझाव-
नई चुनौतियों से दूर भागने के बजाय इनका डटकर सामना करें। चुनौतियों का सामना करके उन्हें सुलझाने का मजा लें। अगर आपके सामने बहोत बडी और बहोत ज्यादा संख्या में चुनौतियाँ हैं तो इस से डरे नहीं, न तो हार मानें। इनका सामना करनें के लिए दृढ़ संकल्प करें और अधिक ज्ञान और अधिक मदद हासिल करें।
निराशा हमारे जीवन मे ठीक उसी तरह होती हैं जैसे सड़क पर गतिरोधक होता हैं। गतिरोधक हमें धीमा जरुर करता हैं परंतु उस से आगे हमें अच्छी सडक मिलती हैं। वैसे ही नैराश्य हमें जीवन में धीमा करता हैं। परंतु इस निराशा में ज्यादा समय ना रहें। इस से आगे बढ़े।
आपको जो चाहिए वो जब आपको नहीं मिलता तब आप निराश होते हैं, आपको बुरा लगता हैं ऐसे समय धीरज रखें और खुश रहने की कोशिश करें। क्योंकि भगवान ने जरुर आपके लिए कुछ न कुछ अच्छा सोचा होगा। जब आपके साथ अच्छा या बुरा कुछ भी होता हैं तब इस पर ज्यादा सोचे नहीं। जीवन में हर घटना का कोई न कोई मकसद होता हैं। कोशिश करें की आप ज्यादा से ज्यादा खुश रहें, ज्यादा हँसे।
भगवान ने हमे ये वादा नहीं किया था कि आपके जीवन में सिर्फ सुख होगा दुःख नहीं, हँसी होगी आँसू नहीं, सूरज होगा बारिश नहीं, लेकिन भगवान ने हमें दु;ख सहने के लिए हिम्मत और सामर्थ्य जरुर दिया, आँसू पोछने के लिए अपने लोग दिए और अँधेरे में चलने के लिए प्रकाश जरुर दिया है।
कोई भी अपने अतीत में जाकर एक नयी शुरूवात नहीं कर सकता। लेकिन हर कोई आज और अभी से नयी शुरूवात करके नया अंत कर सकता हैं। आगे बढ़ो और जीवन में चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार हो जाओ।
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(लेखक अतुल राजे जाधव एक ब्लॉगर हैं।)
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