गर मैं अप्पू होती!

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गर मैं आप्पू होती! आप्पू घरवाली!
नहीं! कोई भी आप्पू,
लाल-लाल हाथी
सुधीर तैलंग के कार्टूनवाला हाथी
मायावतीजी के चुनाव चिन्हवाला हाथी ,
हमारे आई टी ओ में
“शहर घुमानेवाला हाथी
जिनपर मैंने लेख लिखा था-
“यहां हाथी रहते हैँ “,
सान्ध्य टाइम्स के लिए,
आप भी लिखना।
और केरल में पूजा करते हें,
वोह हाथी,
जिसे मन्दिर में रखते हें-
अपने गणेश जी की तरह,
उसकी सवारी भी करते हें
लोग उन्हें खूब लड्डू
-केले खिलाते हैं
खूब प्यार करते हें,
उनसे आशीर्वाद भी लेते हें,
उसके साथ नाचते-गाते भी हेँ।
पर इन महवतों से कहना,किसी भी
हाथी को भाला ना चुभोये,
इन बेज़ुबान को भी चोट लगती है,
महावत आप्पू आपकी बात मानेगा,
उसके गर्दन में
भाला चुभोने से दर्द होता है,
घाव नासूर बनेगा।
अप्पू मर जायेगा।

वोह अप्पू जो राजा महाराजाओं
की है सवारी,
वीर योद्धाओं की सवारी,
सनिकों की है सवारी,
और तो और, सब बच्चों की है सवारी,
वोह भी तब, जब वीरता पुरस्कार विजेता बच्चे 26 जनवरी को
झांकियों के साथ सजे हुए
हाथी की सवारी करते हें।
गर में भी अप्पू होती,
आप सब बच्चों को
पीठ पर लाद कर सवारी करवाती
और सब तालियां बजा कर कहते
वोह चली आप्पू की सवारी
हम बच्चों के संग,
वोह चली, रे वोह चली।

– कलमश्री विभा सी तैलंग

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