एक मुलाकात
लिख देता हूँ अक्सर, तुम्हारे हर उस एहसास को,
जिसे पढ़कर तुम कभी ना उदास हो।
मेरी कलम से ही मिलती हो हर रोज मुझे,
जैसे तुम यहीं कहीं मेरे आस-पास हो।
बस अंतिम इच्छा है मेरी,
कि सिर्फ एक बार तुम से बात हो,
जी भर के देख लूँ आखिरी बार तुम्हें,
मंजूर है, चाहे उसी दिन मेरी कयामत की रात हो।
प्रेम ठक्कर “दिकुप्रेमी”
Surat, Gujarat