बिछड़ा हुआ प्रेम
सुनो दिकु…..
जब से बिछड़ा हूँ तुम से,
एकपल भी तुम से दूर नही हो पाया।
ख्वाबों में भी तुम मेरी हो,
मैंने तुम्हें मेरी रूह तलक है बसाया।
बस तुम्हारी यादों में खोया रहता हूँ,
यह दिल हर वक्त बेकरार है।
मेरे हर एक लम्हें में,
सिर्फ तुम्हारा ही इंतज़ार है।
कैसे बुलाऊँ तुम्हें,
कुछ तो मेरी मदद करो।
तुम शकुशल हो अपने यहां,
कहीं से तो मुझे खबर करो।
दिकु, तुम मेरे जीवन की चांदनी का प्रकाश हो,
रहना चाहता हूँ सदा तुम्हारी परछाई में।
वापस आकर निकाल लो मुजे,
में फंस चुका हूँ अंधेरों की तन्हाई में।
प्रेम ठक्कर “दिकुप्रेमी”
Surat, Gujarat
9023864367