दिल की बेबसी
कैसे करूँ दिल की बेबसी का इजहार।
क्या करूँ जिससे तुम्हें देख पाऊं,
और तुम से मिल पाऊं एक बार।
चाँदनी की रोशनी में तुम्हारा चेहरा खिला हुआ है।
एक अनिश्चित राह पर,
अपने जीवन का सफर चला हुआ है।
हो सुहानी रातें, केवल कर पाऊंगा मैं तुम्हारा ही दीदार।
क्या करूँ जिससे तुम्हें देख पाऊं,
और तुम से मिल पाऊं एक बार।
दिल के जज़बात बयाँ करने की तलब लगी है।
तुम्हारे इंतज़ार में,
उम्मीद की महफिलें सजी है।
हजारों की भीड़ में भी, प्रेम का सूना पडा है संसार।
क्या करूँ जिससे तुम्हें देख पाऊं,
और तुम से मिल पाऊं एक बार।
प्रेम ठक्कर “दिकुप्रेमी”
सूरत, गुजरात