आगमन – प्रेम ठक्कर

  • Post author:Manisha Tyagi

आगमन

जब तुम आओगी, तब सजेगा ये जहाँ।
फूलों से भरी राहें होंगी,
खुशबू से महकेगा ये आसमां।

चिरागों की लहरों में, रातों को रोशनी झगमगाएँगी।
तारों की बूंदें, फिर से नए सपनों को सजाएगी।

हवाओं में बहेगी स्वर्गीय ध्वनि की धारा।
दिलों को छू जाएगा सब को वो मधुर गीत हमारा।

हंसते हंसते गुज़रती हुई, सभी खुशियों की बातें होगी।
मस्तिष्क से निश्चिंत, वैसी हर पल की रातें होगी।

जब तुम आओगी, लहरों से झूम उठेगा आसमान।
प्रेम की बौछारें बरसेंगी, हर जगह बनेगा एहसासों का गुलिस्तान।

तुम्हारे आगमन से रंग जाएगा ये जीवन मेरा।
प्यार की नई कहानी लिखेगा,
अंधकार को चीरता हुआ नया सवेरा।

न जाने कितने समय से इन खुशियों की आस में हूँ।
अब देर ना करो दिकु,
टूटा हुआ, मजबूर, सहमा हुआ,
में अर्धजीवी, केवल तुम्हारे लौट आने की तलाश में हूँ।

प्रेम ठक्कर “दिकुप्रेमी”
सुरत, गुजरात

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