अभी बाकी है – प्रेम ठक्कर

  • Post author:Manisha Tyagi

अभी बाकी है

तुम्हारी यादों का सिरा थामे,
मैं जीवन की राह पर चला हूँ।
बिछड़े हुए अरसा हो गया,
पर तुम्हारे इंतज़ार में जान अभी बाकी है।

तुम्हारे बिना ये दिल उदास है,
तन्हाई का आलम बहुत ही गहरा है।
आँखों में बसे हैं हसीन ख्वाब,
पर हकीकत में घना अंधेरा है।

सन्नाटा तो हो गया तुम्हारे जाने के बाद जीवन में,
पर शायद कड़े इम्तिहान अभी बाकी हैं।
बिछड़े हुए अरसा हो गया,
पर तुम्हारे इंतज़ार में जान अभी बाकी है।

बदलते मौसम, आती-जाती हवाएँ,
तुम्हारी खुशबू को संग लाती हैं।
पर तुम्हारे वो परोक्ष स्नेहिल स्पर्श की यादों से,
मेरी अंदरूनी रूह कांप जाती है।

तुम्हारे बिना ये जिंदगी,
जैसे माला में मोतियों की शान अभी बाकी है।
बिछड़े हुए अरसा हो गया,
पर तुम्हारे इंतज़ार में जान अभी बाकी है।

सपनों में तुमसे रोज मिलता हूँ,
अपने दिल का हर हाल तुम्हें बतलाता हूँ।
आँख खुलते ही अकेलापन पाकर,
मैं फिर से उम्मीद का दिया जलाता हूँ।

जीवन की इस कठिन डगर पर भी,
तुम्हारी राह में मैं अडिग खड़ा हूँ,
न जाने इसमें कितने तूफान अभी बाकी हैं।
बिछड़े हुए अरसा हो गया,
पर तुम्हारे इंतज़ार में जान अभी बाकी है।

प्रेम ठक्कर “दिकुप्रेमी”
Surat, Gujarat

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