फर्क करना मुश्किल होता है की तू यादों में या असल में साथ होती है
(सच कहूं तो फर्क करना भी नहीं चाहता)
…हाँ जब कभी भी तेरी जरूरत महसूस होती है तू आस-पास ही होती है
…माँ है मेरी कहाँ जा सकती है मुझसे दूर
यकीनन तू मेरी यादों में अम्मा मुस्कुराती है
तभी तो खुद ब खुद चेहरे पे ये मुस्कान आती है
तो क्या है सब दिगंबर नाम से हैं जानते मुझको
मुझे भाता है जब तू प्यार से छोटू बुलाती है
में घर से जब निकलता हूँ बड़े ही लाड से मुझको
लगे कोई नज़र न आज भी काजल लगाती है
बुरी आदत कभी जब देख लेती है मेरे अन्दर
नहीं तू डांटने से आज भी फिर हिचकिचाती है
READ FULL ::::: SWAPN MERE :::::
व्हॉटसएप पर जुड़ें : उड़ान हिन्दी पर प्रकाशित नई पोस्ट की सूचना प्राप्त करने के लिए हमारे ऑफिशियल व्हाट्सएप चैनल की नि:शुल्क सदस्यता लें। व्हॉटसएप चैनल - उड़ान हिन्दी के सदस्य बनें
कॉपीराइट सूचना © उपरोक्त रचना / आलेख से संबंधित सर्वाधिकार रचनाकार / मूल स्रोत के पास सुरक्षित है। उड़ान हिन्दी पर प्रकाशित किसी भी सामग्री को पूर्ण या आंशिक रूप से रचनाकार या उड़ान हिन्दी की लिखित अनुमति के बिना सोशल मीडिया या पत्र-पत्रिका या समाचार वेबसाइट या ब्लॉग में पुनर्प्रकाशित करना वर्जित है।