
आज आसमां में चिड़िया विचरती दिखी,
ऐसा लगा वो मेरे देश की है,
उसे देख आँखों में आँसू भर आया,
दर्द ऐसा छलका आँखों से,
दिल तड़प उठा घर की यादों से,
तब मस्तिष्क ने संभाला,
तब याद आया;
हूँ मैं यहाँ रोटी की चाहत में।
मेरे देश की चिड़िया दिखी
आँखों में आँसू भर आया।
जब याद वतन की आती है,
दिल तड़प कर रह जाती है,
जब वतन की एक चिड़िया,
आँखों में आँसू भर देती है,
तो अन्दाज लगा हम परदेशी का,
जो यहाँ रहते हैं, बिना माँ-बहनों के,
भूल गये हम उस हाथ की रोटी,
जिसमें माँ की ममता होती है।
मेरे देश की चिड़िया दिखी
आँखों में आँसू भर आया।
अपनी खुशीयों को,
बच्चों के संग छोड़ आया,
उस पति और पिता का भी क्या कहना,
परिवार के खातीर अपनों से दूर यहाँ तड़पता है
वो कभी हँसता तो कभी रोता है।
मेरे देश की चिड़िया दिखी
आँखों में आँसू भर आया।
इकबाल अहमद बिहार के कटिहार जिले के रहने वाले है और वर्तमान में सउदी अरब के प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थान में लाईब्रेरियन के पद पर कार्यरत है। लेखक से दूरभाष 00966-591956311 एवं ई-मेल ealibrarian1972@gmail.com द्वारा संपर्क किया जा सकता है।
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