मेरे अज़ीम मुल्क़ से ही मेरी पहचान है | सलिल सरोज

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Salil 4
मेरे अज़ीम मुल्क़ से ही मेरी पहचान है
मंदिर की घंटी,मस्जिद की अजान है
सब नेमतें अता कर दी मुझपे मेहरबां होके
मेरा मुल्क ही सिर्फ मेरे लिए भगवान है
माँ के आँचल की तरह हिफाज़त की है
हर ज़ख़्म से बचा लेगा,इतना इत्मीनान है
इन्द्रधनुष से भी ज्यादा रंग हैं इसके परिधान में
सबसे अजीमोशान इतिहास होने का गुमान है
दुनिया हर मोड़ इस ओर ताकती रहती है
ज्ञान,विज्ञान और ध्यान का बेजोड़ निशान है 

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