बच्चे में बसा है फरिश्ता कोई | सलिल सरोज

  • Post author:Web Editor
Bachhe me basa hai farista

तेरे ख़्वाबों से है वास्ता कोई
इन निगाहों से है रास्ता कोई

उसे देखके मैं खिल उठता हूँ
बच्चे में बसा है फरिश्ता कोई

हमें तो हर धर्म की तहज़ीब है
मेरा वतन ही है गुलिस्तां कोई

चाँद जो यौवन के उरूज पे है
मेरे महबूब सा है शाइस्ता* कोई

मैं वक़्त को हराके अभी बैठा हूँ
इक नई सदी दे दो आहिस्ता कोई

*शाइस्ता-खूबसूरत लड़की (पश्तून भाषा में)

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