ऐसे बनता है देश का बजट

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देश की आर्थिक दिशा तय करने और आय
व्यय का ब्योरा पेश करने के लिए देश की सरकार हर वर्ष संसद में बजटपेश करती है। पर इससे पहले काफी विस्तार से बजट पर चर्चा भी की जाती है। ताकि कोई चूक न हो जाए।
हर साल देश की आयव्यय की विस्तृत जानकारी देने के लिए सरकार संसद में एक दस्तावेज प्रस्तुत करती है,जिसमें चालू वित्त वर्ष के दौरान हुई प्राप्तियों और खर्चों का ब्योरा दर्ज होता है। भारतीय संसद के दोनों सदनों में रखेजाने वाले एक वित्त वर्ष के इसी ‘वित्तीय विवरण ’ को केंद्रीय बजट कहा जाता है। बजट के दो मुख्य पहलू होते हैं,रेवेन्यू यानी आमद और दूसरा एक्सपेंडिचर यानी खर्च। देश के आम बजट को फरवरी माह में संसद पटल परप्रस्तुत किया जाता है। आइए जानते हैं बजट निर्माण की चरणबद्ध प्रक्रिया :

बजट डिविजन की स्थापना
सितंबर माह में वित्त मंत्री बजट डिविजन का गठन करते हैं, जो बजट की संपूर्ण तैयारी करने के लिए उत्तरदायी है।वित्त सचिव की अध्यक्षता में गठित बजट डिविजन में व्यय सचिव, राजस्व सचिव एवं केंद्रीय उत्पाद एवं सीमाशुल्क बोर्ड के चेयरमैन के साथसाथ मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार भी शामिल होते हैं। बजट डिविजनराजस्व प्राप्ति और अनुदान मांगों को दस्तावेजों के रूप में तैयार करता है।

राजस्व आकलन
सितंबर के उत्तरार्ध में राजस्व का आकलन किया जाता है। केंद्र सरकार विभिन्न करों और सार्वजनिक इकाइयों(पीएसयू) से प्राप्त राजस्व का आकलन करती है। इसमें वल्र्ड बैंक और एडीबी द्वारा प्राप्त आमद शामिल है। यह एकमहत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिसके आधार परखर्च का खाका तैयार होता है। केंद्रीय टैक्स की आमद का आकलन राजस्वविभाग द्वारा किया जाता है, जबकि पीएसयू की आमद के आकलन के लिए विभिन्न कंपनियों के सीएमडी और वित्तनिदेशक बुलाए जाते हैं। राजस्व विभाग और पीएसयू से प्राप्त राजस्व की जानकारी वित्त सचिव को भेजी जाती है, जोइसे ‘डिपार्टमेंट ऑफ एक्सपेंडिचर ’(व्यय विभाग) के सचिव को सौंपते हैं। यह विभाग कुल राजस्व आमद काआकलन करके आंकड़े बजट डिविजन को भेजते हैं, जिसका उल्लेख बजट दस्तावेजों में किया जाता है।

विचार-विमर्श
अक्तूबर से दिसंबर तक सरकारी विचारविमर्श और समानांतर बैठकें होती हैं। बजट डिविजन के सदस्य सभीमंत्रालयों और विभागों के वित्त सचिवों के साथ बैठक करते हैं। दूसरी ओर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों केप्रतिनिधि भी बजट डिविजन के साथ बैठक करते हैं। बजट डिविजन इन सभी से बजट प्रस्ताव प्राप्त कर सकलबजटीय सहायता के निर्धारण के लिए योजना आयोग को देता है। जीबीएस में मंत्रालयों के संचालन खर्च के अलावानई और पुरानी योजनाओं (क्षेत्रीय, सामाजिक विकास संबंधी) के लिए धन की मांग शामिल होती है। इसके तुरंत बादबजट डिविजन उद्योग जगत, निजी और गैरसरकारी कंपनियों, अर्थशास्त्रियों, ट्रेड यूनियनों, कृषि संगठनों औरकॉरपोरेट जगत के प्रतिनिधियों से विचार विमर्श करता है। इसी दौरान विभिन्न क्षेत्रों से वित्त मंत्री को बजट सुझावमिलते हैं। खर्चो और योजनाओं से संबंधित सुझाव व्यय विभाग को, जबकि करों से जुड़े सुझाव वित्त मंत्रालय कीटैक्स रिसर्च यूनिट को भेज दिए जाते हैं। संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी की अध्यक्षता में दोनों यूनिट बजटसुझावों और प्र्रस्तावों का आकलन कर अपनी अनुशंसा बजट डिविजन को भेजती हैं। सभी क्षेत्रों से सलाहमशवरे केबाद बजट डिविजन वित्त मंत्री और वित्त मंत्री आरबीआई के गवर्नर के साथ भी विमर्श करते हैं, ताकि देश की मौद्रिकस्थिति का पता चले।

व्यय की रूपरेखा
जनवरी में वित्त मंत्री बजट डिविजन और योजना आयोग के उपाध्यक्ष के साथ मिलकर योजनागत व्यय का खाकातैयार करते हैं। बैठक में केंद्रीय करों व अन्य स्रोतों से आमद और आगामी वित्त वर्ष में प्रस्तावित खर्च के बीचतालमेल बिठाया जाता है। राजस्व और खर्च के जोड़ घटाव के साथ ही वित्त मंत्री को यह ध्यान रखना होता है किराजकोषीय घाटा कम हो। इसके लिए रकम उगाही के लिए कुछ नए कर लगाने या करों का दायरा बढ़ाने पर भीविचार होता है। बैठक में आर्थिक प्राथमिकताएं और ब्याज दरों के साथ साथ मूल्य व्यवस्था संबंधी दिशा निर्देश तयकिए जाते हैं। बैठक में बजट की संपूर्ण रूपरेखा तय होने के बाद उसे दस्तावेजों का रूप देने के लिए बजट डिविजनको सौंप दिया जाता है।

– बजट की सबसे पहली अवधारणा का श्रेय फ्रांस के वित्त अधिकारी विलियम लाउंडेस (1675) को जाता है। उनकेप्रयासों से ही फ्रांस में दुनिया का पहला बजट पेश किया गया।

– भारत में आजादी के बाद पहला बजट 26 नवंबर 1947 को वित्त मंत्री आर के षणमुखन चेट्टी ने पेश किया था।

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