एक चिडि़या कहती है…

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एक चिडि़या कहती है

मेरी आंखों में अनेक सपने सजाये है

मैं उड़ती हूॅं तो सोचती एक अच्छा

जीवन मिल जाए।

काशः मैं बोल पाती फिर भी

चू-चू करती इधर-उधर फुदकती रहती हूॅ

Fit Bird

मेरे सब साथी यही सोचते

उड़ान तो भर लेते हम पंछी

न जाने हम कहा गुम हो जाते है

है इंसान फिक्र है अगर हमारी

हमें बचा लेना

गर्मी के मौसम में कभी पंछी, कभी इंसान

सब परेशान हो जाते है

बस इस मौसम में

एक छोटा सा आशियाना बना देना

गर्मी के इस साये में पानी भी पिला देना।


akshaya%2Bbhandariअक्षय आजाद भण्डारी 

राजगढ़ तहसील सरदारपुर जिला धार मध्यप्रदेश। लेखक वर्तमान में

पत्रकारिता स्नातक  के छात्र है एवं कई वर्षो से पत्रकारिता क्षेत्र में में सक्रिय है। 
आपसे 9893711820 अथवा ई-मेल पर ई मेल bhandari.akshjay11@gmail.com
पर संपर्क किया जा सकता है।

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