उसकी बातों में, खुशबू गुलाब की

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उसकी बातों में, खुशबू गुलाब की
उसकी बातों में, खुशबू गुलाब की,
उसकी होठों पर, मुस्कान लाजवाब थी,
उसकी आँखों में, जैसे खुशियों की शबनम,
और चेहरा आफताब सी,
थम जाती है, साँसे मेरी
जब होता था एहसास, उसके, कोमल आवाज की
दिल, भावुक हो गया था
क्योंकि; 
उसके मधुर आवाज में, मधु मिठास सी
उसकी बातों में, खुशबू गुलाब की…………….
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जिन्द्गी ने, है करवट बदला
दिल से धड़कन, आज है निकला
बनारस में, झुमा सावन
विजयवाड़ा में सूर्य है जला,
मेरे ह्र्दय की हसरत, आज पूरी हुयी,
जब सुनाया मैनें, अपने मन की बात,
वो बड़े प्यार से सुनती रही,
उसकी बातों में, खुशबू गुलाब की………
ऐ मेरे धड़कते हुये दिल,
उसके वफा पर, ऐतबार है मुझे
बस मेरी नजरों को, उसका दीदार हो जाये
इधर धरती, आसमाँ से कहे,
काश;
उस चाँद को भी सुर्य से, प्यार हो जाये ।


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आशीष कमल
लेखक योजना तथा वास्तुकला विद्यालय, विजयवाड़ा,
आन्ध्र प्रदेश में सहायक पुस्तकाल्याध्यक्ष के पद पर
 कार्यरत हैं तथा अक्षय गौरव पत्रिका के उप-संपादक भी है।
E-Mail- asheesh_kamal@yahoo.in

© उपरोक्त रचना के सर्वाधिकार लेखक एवं अक्षय गौरव पत्रिका पत्रिका के पास सुरक्षित है।

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