राहे देख रहा हूँ
सामने एक हर पल संघर्ष देख रहा हूँ।
इंसाफ की राहे देखी
मगर अपने वाले कौन है
यह पता लगा रहा हूँ।
समय-समय पर देखा
कही अपने ही बदल ना जाए।
अपनों को कुछ दे दूँ।
ये ख्याल आता है।
पर व्यवहार बाजार जो बनाया है
मैनें उसे कोई बिगाड़ ना दे
जो बिगाड़ें उसे मेरे परिवार से
हटाने कि सोच रहा हूँ मैं
अब मौका देख रहा हूँ शायद
कोई रास्ता निकल जाए
इस राह संघर्ष लड़ रहा हूं मैं।
अक्षय आजाद भण्डारी
राजगढ़(धार) मध्यप्रदेश
9893711820
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